26 मार्च 2012
नई दिल्ली | भ्रष्टाचार मिटाने के लिए एक बड़े आंदोलन की हुंकार भरते हुए समाजसेवी अन्ना हजारे ने रविवार को कहा कि सरकार गूंगी एवं बहरी हो गई है। भ्रष्टाचार उजागर करने के प्रयास में 25 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं लेकिन सरकार एक सख्त कानून बनाने के लिए तैयार नहीं है। समाजसेवी ने कहा कि सरकार यदि वर्ष 2014 तक जन लोकपाल विधेयक नहीं लाती तो उसे सत्ता से बाहर जाना होगा। उन्होंने लोगों से भ्नष्टाचार के खिलाफ लम्बी लड़ाई के लिए तैयार रहने के लिए कहा।
जन लोकपाल विधेयक में भ्रष्टाचार उजागर करने वाले ह्विसलब्लोअर्स की सुरक्षा देने के लिए एक मजबूत तंत्र बनाने और भ्रष्टाचार उजागर करने के दौरान अपनी जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को न्याय दिलाने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर एक दिन के अनशन पर बैठे अन्ना हजारे ने कहा कि भ्रष्टाचार मिटाने को लेकर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की नीयत साफ नहीं है। इसलिए, वह जनलोकपाल विधेयक पारित नहीं कर रही।
चुनाव में भ्रष्ट व दागी उम्मीदवारों को नकारने का अधिकार मतदाताओं को देने की वकालत करते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि संसद एवं राज्यों की विधानसभाओं में बड़ी संख्या में दागी लोग चुनकर पहुंच गए हैं। यदि उम्मीदवारों को नकारने का अधिकार मतदाताओं को मिल जाए तो इस पर रोक लगेगी।
उन्होंने कहा कि उनकी पहली लड़ाई जनलोकपाल विधेयक को लेकर है। बाद में उम्मीदवारों को नकारने के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी जाएगी और फिर किसानों के हक में आवाज उठाई जाएगी। इसके बाद जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार के लिए भी लड़ाई लड़ी जाएगी।
अनशन स्थल पर अन्ना हजारे के पहुंचने से पहले वहां करीब 2000 लोग एकत्र हो गए थे। देशभक्ति के गीतों, तिरंगा और अन्ना टोपी के बीच माहौल अनशन के अनुकूल बन गया था। अन्ना हजारे महात्मा गांधी की समाधि राजघाट से जंतर-मंतर पहुंचे।
अनशन की शुरुआत भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले उन लोगों पर बनी एक लघु फिल्म के प्रदर्शन के साथ हुई, जो अपनी लड़ाई के दौरान शहीद हो चुके हैं।
अन्ना ने अपने अनशन की शुरुआत "भारत माता की जय.. वंदे मातरम" जैसे देशभक्ति के नारों के साथ की।
अन्ना ने अनशन शुरू करने से पहले संवाददाताओं से कहा, "जो लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं और जिन लोगों ने इस लड़ाई में अपनी जान दी है, सरकार ऐसे लोगों की हिफाजत के लिए कुछ नहीं कर रही है।"
मध्य प्रदेश के मुरैना में मारे गए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी नरेंद्र कुमार का परिवार भी जंतर-मंतर पहुंचा। कुमार की उस समय हत्या कर दी गई थी, जब उन्होंने अवैध खनन कर ले जाए जा रहे पत्थरों की एक ट्रैक्टर ट्राली को रोकने की कोशिश की थी।
अन्ना ने पहले से बड़े आंदोलन का आह्वान करते हुए कहा कि उनके लोग देश भर में जाएंगे और लोगों को बताएंगे कि सरकारी लोकपाल विधेयक किसी काम का नहीं है।
अन्ना ने कहा, "भ्रष्टाचार की खिलाफत करने वाले 25 लोगों की हत्या हो चुकी है। हम एक कानून बनाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले ऐसे लोगों की हिफाजत पर जोर दे रहे हैं, लेकिन सरकार ऐसा करने के लिए तैयार नहीं है।"
अन्ना का अनशन शुरू होने से पहले जंतर-मंतर पर उपस्थित लोगों ने जान गंवाने वाले ऐसे अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए खड़े होकर दो मिनट का मौन रखा और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
जंतर-मंतर पर अन्ना के साथ मंच पर उनके प्रमुख सहयोगी, सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगड़े, सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल आदि प्रमुख लोग मौजूद रहे।
जंतर-मंतर पर एक दिन का अनशन करने वाले अन्ना हजारे का जादू लोगों के सिर एक बार फिर चढ़कर बोला। अनशन स्थल पर हजारों की संख्या में जुटी भीड़ ने यही बयां किया।
अन्ना के पक्के समर्थक एवं एक निजी कम्पनी में कर्मचारी विनोद पाठक ने कहा, "मैं पिछले साल भी जंतर-मंतर आया था, मैं रामलीला मैदान में भी मौजूद रहा और मैं फिर यहां आया हूं। भ्रष्टाचार के खिलाफ जब-जब आंदोलन करने की जरूरत होगी, मैं उपस्थित रहूंगा।"
स्वतंत्र फोटोग्राफर के रूप में काम करने वाले निशिकांत सिंह ने कहा कि अन्ना हजारे के अनशन में भाग लेने और उनकी तस्वीर खींचने का यह एक मौका है।
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